फितरत बदल रही
वो एक पल था, जहां मैं था – जहां तू थी
था अच्छा सबकुछ, क्या मन था, क्या मिलन थी
ना अब तू रही – ना अब मै रहा,
अब किसे कहूं मैं गलत – सही
मेरा मौसम बदल रहा, तेरी फितरत बदल रही।
कुछ कहना था
कुछ कहना भी, क्यों अब मुश्किल सा लगता हैं
वो साथ तेरा अब साथ नही, साथी मेरा बस दूरी है
क्या करना है कुछ भी ना पता, बस यादें बदल रही
मेरा मौसम बदल रहा, तेरी फितरत बदल रही।
कोई ना पूछो हाल मेरा,क्या जीना हैं – क्या मरना है
साथी का साथ रहा ना जब, तो क्या अब किसी से कहना हैं
वो रात गई वो बात गई, अब खुद को खुद में ढलना है
कोई आह भरे तो क्या मतलब, मतलब जब मुझसे रहा नही ।
मेरा मौसम बदल रहा, तेरी फितरत बदल रही।
✍️ बसंत भगवान राय
Mob. 8447920230
दरभंगा बिहार