फितरत बदलने वाले लोग
फितरत की फेहरिस्त लगाए
हर पल बदलने वाले लोग
आईने के उल्टे झूठ को
सच बताने वाले लोग
चित्र,चरित्र बेरंग बनाकर
रंग बेचने वाले लोग
इंसानी खाल ओढ़ कर
गिरगिट बनने वाले लोग।
चलते जो दबे पांव तमस में,
कुकृत्यों के काली चादर में।
उजियारे के सरपरस्त हैं,
ये कालिख पीने वाले लोग।
समय बदला तो करवट बदली,
और फितरत ज्यों ऋतु बदली।
सर्पों को शर्मिंदा कर दें,
केंचुली छोड़ने वाले लोग।
पूर्वज ने आगाह किया था बंदर बाघ बिलार,
फितरत इनकी घातक है, बंधते नहीं कभी द्वार।
नमक ना माने, पोष्य ना माने, ना कोई बलिदानों को,
धर्म ईमान की बोली लगाते, गैरत पीने वाले लोग।
चित्र चरित्र बेरंग बना कर,
रंग बेचने वाले लोग।
इंसानी ख़ाल ओढ़ कर,
गिरगिट बनने वाले लोग।