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15 Dec 2020 · 1 min read

फिक्र है ठंड में रजाई का

** फिक्र ठंड में रजाई का **
***********************

गम नही प्यार में बेवफाई का
बस फिक्र है ठंड में रजाई का

बकरीद पर हमेशा मांगता रहे
खैर मांगता बकरा कसाई का

घबराहट नहीं है गोलीबारी की
डर लगता सर्दी में धुलाई का

मजा क्या लेगा घुड़सवारी का
बच्चों को भय लगे पढाई का

जब दृश्य होता कार्यवाही का
कटघरे में जिक्र सुनवाई का

रातों को गलियारे मैं ना रहूँ
डर सताता है मुझे तन्हाई का

मनसीरत कारवां कभी न थमे
साया सदैव है तेरी परछाई का
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
183 Views
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