फाल्गुन महिनवा में
पतझड़ महीना नई आश लेई आईल
अमवा बऊर देखी मन हर्षा-ईल
पौधा पुष्प खिला दी अंगनईयाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ
रतिया में हम के बीरावे ले अजोरियाँ
धई-धई नागीन बनी डसे ले पलंगियाँ
कुह-कुह ताना मारे,भोर में कोयलियाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ
खाए के मन करतारे चौरईयां
बहई झकोरि-झकोरि पुरवईयां
सझिया सुवेरवा में उठे अंगडईयाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ