फ़ुरसत मिले….
फ़ुरसत मिले कोई नज़्म ही कह दूँ
फ़ुरसत मिले इक ग़ज़ल ही लिख दूँ
कितना हूँ अब व्यस्त …
स्मार्ट फ़ोन में मस्त …
अा गया स्मार्ट टी.वी…
हूई व्यस्त है बीवी…
वटसएप सुबह-शाम..
छूट गया है व्यायाम …
होंट अब नहीं हिलते…
हैलो भी उँगलियों से लिखते…
सब कुछ हैं उँगलियाँ ….
अब उँगलियों के हैं रिश्ते …
फ़ुरसत मिले …
रिश्ते निभा लूँ …
फ़ुरसत मिले….
सपने सजा लूँ …
फ़ुरसत मिले कोई नज़्म ही लिख दूँ
फ़ुरसत मिले इक ग़ज़ल ही लिख दूँ
-राजेश्वर