Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Feb 2017 · 1 min read

फ़ुरसत मिले….

फ़ुरसत मिले कोई नज़्म ही कह दूँ
फ़ुरसत मिले इक ग़ज़ल ही लिख दूँ
कितना हूँ अब व्यस्त …
स्मार्ट फ़ोन में मस्त …
अा गया स्मार्ट टी.वी…
हूई व्यस्त है बीवी…
वटसएप सुबह-शाम..
छूट गया है व्यायाम …
होंट अब नहीं हिलते…
हैलो भी उँगलियों से लिखते…
सब कुछ हैं उँगलियाँ ….
अब उँगलियों के हैं रिश्ते …
फ़ुरसत मिले …
रिश्ते निभा लूँ …
फ़ुरसत मिले….
सपने सजा लूँ …
फ़ुरसत मिले कोई नज़्म ही लिख दूँ
फ़ुरसत मिले इक ग़ज़ल ही लिख दूँ
-राजेश्वर

Language: Hindi
317 Views
Books from Dr.Rajeshwar Singh
View all

You may also like these posts

Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
"गारा"
Dr. Kishan tandon kranti
हम बदल गये
हम बदल गये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मैं कीड़ा राजनीतिक
मैं कीड़ा राजनीतिक
Neeraj Mishra " नीर "
काश! मेरे पंख होते
काश! मेरे पंख होते
Adha Deshwal
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इतना गिरा जमीर
इतना गिरा जमीर
RAMESH SHARMA
3509.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3509.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
नैनो में सलोने सपन भी ख़ूब जगाते हैं,
नैनो में सलोने सपन भी ख़ूब जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
.
.
*प्रणय*
प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
Seema gupta,Alwar
Respect women!
Respect women!
Priya princess panwar
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
डॉक्टर रागिनी
लंबे सफ़र को जिगर कर रहा है
लंबे सफ़र को जिगर कर रहा है
Shreedhar
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
Anand Kumar
तुम्हारी बातें
तुम्हारी बातें
Jyoti Roshni
गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
Neelofar Khan
अन्वेषा
अन्वेषा
Deepesh Dwivedi
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
Dr. Man Mohan Krishna
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
जो देखे थे सपने
जो देखे थे सपने
Varsha Meharban
Loading...