“फ़िर से तुम्हारी याद आई”
फ़िर से आज तुम्हारी याद आई, देखा एक टूटे हुए दिल को उसको देख अपने बहते हुए अश्कों की याद आई, दर्द भरे उन लम्हों की याद आई, वो जागती हुई बेचैन कर देने वाली रातों की याद आई,
नींद में तुम्हें देखते हुए उन ख्वाबों की याद आई,
वो दर्द वो चेखें वो चुभती हुई सी काली यादों में तुम्हारी बातें याद आई,
आज एक बार फ़िर तुम्हारी याद आई..!
“लोहित टम्टा”