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8 Jul 2023 · 1 min read

फ़ितरत

जब से मां का नाम इबादत में जोड़ा है,
मालिक के सजदे में सर को झुका दिया है,
हर एक दुआ क़बूल हुई है,
नेमतों से झोली भर गयी है,
ख़ुद की जगह ख़ुदा ने मां को बच्चों के क़रीब रक्खा है,
मां के आंचल से बच्चों का सबसे पाक, सच्चा रिश्ता है,
जब से बच्चों की आँखों से बहते आंसू पोंछे मैंने,
जिंदगी खुशगवार हो गयी है, राहगुज़र गुलज़ार हुई है,
कांटों की फ़ितरत भी जैसे बदल गयी ऐसा लगता है,
मां के क़दमों का बोसा, मालिक के सजदे सा लगता है।

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