” फ़साने हमारे “
अगर हम बेचैन है, तो
तुम्हें भी चैन कहा…
अगर अधूरे हम है, तो
पूरे हुए हो तुम भी कहा…
तुम लाख दर्द दे दो, लेकिन तुम्हें
दर्द देना इतनी हमारी हिम्मत कहा…
तुम दूर हो तो क्या हुआ,
तुम्हारे पास भी कौन है वहां…
अगर रह गई है, कहानी अधूरी हमारी,
तो पूरी हुई है, तुम्हारी भी कहा…
अगर मिल गई हो, जमाने की सारी
खुशियाँ, लेकिन उनमें सुकून कहा…
अगर जागती है आँखें मेरी, तो
सौती है रातें भी तुम्हारी कहा…
अगर रह गई है ख्वाहिशें अधूरी हमारी,
तो पूरी हुई है तुम्हारी भी कहा…
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना