फ़रेब-ए-‘इश्क़
दर्द दिया,
जां ले ही लिया
दिल को मेरे ले
कहाँ गुम हो गए तुम,
मैं ढूंढता फिरूँ तुझे,
पर तू ना मिले कहीं मुझे,
अब तू ही बता
करूँ क्या मैं तेरे बिन?
ना कोई मुझसे गिले-शिकवे,
और ना कोई बहाना बिछड़ने का
फिर क्यों तू मुझसे दूर हो गई?
मुझे यूँ अकेला तन्हाई में क्यों छोड़ गई?
अब फिक्र करना तेरी
मैंने छोड़ दिया,
तेरी यादों को अब
मैंने दबा दिया पैरों तले ,
अब मोहब्बत को भी तेरी
मैंने दो घूंट मदिरा मात्र बना दिया |