फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
पूंछती हैं कलियां भीगी बहार से
क्यूं बदन तर-बतर है अश्कों की धार से
क्या तुम भी आ रहे हो रफी साहब की मजार से
M.T.”Ayan”
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
पूंछती हैं कलियां भीगी बहार से
क्यूं बदन तर-बतर है अश्कों की धार से
क्या तुम भी आ रहे हो रफी साहब की मजार से
M.T.”Ayan”