फरेबी बाबा
टूट गया सब रिश्ते नाते,
टूट गया सब बन्धन यहां,
छूट गया सब घर वार मेरा,
दुनिया की नजर में,
बन गया जब मैं संन्यासी
पर मैं बना फरेबी बाबा,
सच जानते मेरा कोई,
लौट आया सब मोह माया मेरा,
जब प्रकट हो गया,
असलियत मेरी,
दुनिया के नजर में,
अपना तो कुछ भी नहीं,
डकैत बने फिरता हु मैं,
लुट कर धन दुसरो का,
महाराज बने बैठा था मैं,
ना मैं था संन्यासी,
ना बन पाया संन्यासी,
बस,
धोखे में रख इस जन्नत को,
दर्द दे गया उन साधुओं को