फनां है सीढ़ी -धर्म की शुरुआत !
देखकर सोचता हु !
या सोचकर देखता हु !
दार्शनिक हु या विचारक !
या दोनों हु !
मुझे खुद मालूम नहीं !
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पर लोग कहते हैं !
कुछ भी नहीं हो !
कोई ब्रह्म का ज्ञानी हो गुरु !
हम मानते हैं तभी !!
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स्वयं गुरु चेतन बहुत हुए !
किसी ने अंगूठा गँवाया !
किसी को जहर से !
सूफीयाना अंदाज़ सब !!
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अब कौन जाने !
किसे पता !
महेंद्र तेरी गत !
हो कौन ढ़ंग !!
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फनां है सीढ़ी !
धार्मिकता का आरंभ !
जिनका गर्व हो !
धर्म या जाति !
उनकी तो धर्म मे !
शुरुआत ही नहीं होती !!
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महेंद्र सिंह ऑथर