फकीरी
मुझे नाराज़ करने का अलग अंदाज़ है उनका,
करूं बाते जो पूरब की तो पश्चिम जोड़ देते हैं।
गज़ब है नज़रिया उनका आवारापन को ले करके,
फरिश्ता कह उन्हें रूहानियत से जोड़ देते हैं।।
करूं बातें अगर उनसे कुछ काम करने की,
तो पलटकर मुझको ही तंगदिल वो बोल देते हैं।
अमीरी से न है शिकवा न मतलब दुनियादारी से,
गमों की महफिलों में भी खुशियां घोल देते हैं।।
न चाहत राजमहलों की न चिंता नाम की उनको,
हैं रखते प्यार झोली में अदावत छोड़ देते हैं।
फकीरी कैसी होती है उन्हीं से सीखा हूं “संजय”
इसी अंदाज से जीवन के रुख को मोड़ देते हैं।।