प्रेषित करें प्रणाम
जीवन में हम काम वह करें
जिससे हमें मिले आनन्द।
जिससे उचट-उचट जाता मन
उसको करना कर दें बन्द।।
काम डूबकर कर पायेंगे
यदि वह करना हमें पसन्द।
और तभी निखार आएगा
उन्नति होगी नित्य अमन्द।।
अपने सब कुछ पा लेने का
जादू करता तब अभिभूत।
जब होता विश्वास कि पाया
मैंने जग का प्यार प्रभूत।।
ईश्वरीय जादू के बल पर
बन जाते हैं सारे काम।
हमें उचित है विनयशील बन
प्रभु को प्रेषित करें प्रणाम।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी