Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2022 · 3 min read

प्रेरक कथा- *हिसाब भगवान रखते हैं-

प्रेरक कथा- *हिसाब भगवान रखते हैं-

अस्पताल में एक कोरोना पेशेंट का केस आया ।मरीज बेहद सीरियस था । अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की।

दो-तीन घंटे के ओपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आया और अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो। और उससे इलाज व दवा के पैसे न लेने के लिए भी कहा ।

मरीज तकरीबन 15 दिन तक मरीज अस्पताल में रहा। जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का तकरीबन ढाई लाख रुपये का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया।

डॉक्टर ने अपने अकाउंट मैनेजर को बुला करके कहा …”इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ। “मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया। डॉक्टर ने मरीज से पूछा – “भाई ! क्या आप मुझे पहचानते हो?”मरीज ने कहा “लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है।”

डॉक्टर ने कहा …”याद करो, अंदाजन दो साल पहले सूर्यास्त के समय शहर से दूर उस जंगल में तुमने एक गाड़ी ठीक की थी। उस रोज मैं परिवार सहित पिकनिक मनाकर लौट रहा था कि अचानक कार में से धुआं निकलने लगा और गाड़ी बंद हो गई। कार एक तरफ खड़ी कर मैंने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई। अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था। परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और सब भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।”

थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ। बाइक के ऊपर तुम आते दिखाई पड़े ।हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके तुमको रुकने का इशारा किया।

तुमने बाईक खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा। तुमने कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी।

“हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हमको ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है क्योंकि उस सुनसान जंगल में रात गुजारने के ख्याल मात्र से ही हमारे रोगंटे खड़े हो रहे थे।

तुमने मुझे बताया था कि तुम एक गैराज चलाते हो ।

“मैंने आपका आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती।

तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूँ कि आपको कितने पैसे दूं ?”

उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं “तुमने कहा था कि “मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी कुछ नहीं लेता।

मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं। “उसी दिन मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका संकल्प पूर्वक पालन कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। और मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। दो साल हो गए है, मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है।”

“यह अस्पताल मेरा है। तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।”

“ये तो भगवान् की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का मौका मुझे दिया। “ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, वो जरूर चुका देगा।

“डॉक्टर ने मरीज से कहा ….”तुम आराम से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो। “मरीज ने जाते हुए चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि….”हे प्रभु ! आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया।”

सदैव याद रखें कि आपके द्वारा किये गए कर्म आपके पास लौट कर आते है । और वो भी ब्याज समेत

वर्तमान में कठिन समय चल रहा है ।जितना हो सकता है लोगों की मदद करें । आपका हिसाब ब्याज समेत वापस आएगा ।

**
प्रस्तुति- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ टीकमगढ़

3 Likes · 225 Views
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all

You may also like these posts

फिर कुछ अपने
फिर कुछ अपने
Chitra Bisht
4523.*पूर्णिका*
4523.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
23. गुनाह
23. गुनाह
Rajeev Dutta
निखर गए
निखर गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुक्तक 1
मुक्तक 1
Dr Archana Gupta
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
Aarti sirsat
सिया स्वयंवर
सिया स्वयंवर
Jalaj Dwivedi
मेरी मोमबत्ती तुम।
मेरी मोमबत्ती तुम।
Rj Anand Prajapati
#मेहनत #
#मेहनत #
rubichetanshukla 781
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
कितनी सारी खुशियाँ हैं
कितनी सारी खुशियाँ हैं
sushil sarna
जहरीला अहसास
जहरीला अहसास
RAMESH SHARMA
मेरे भईया
मेरे भईया
Dr fauzia Naseem shad
आज भी मुझे याद है
आज भी मुझे याद है
manorath maharaj
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
इंतहा
इंतहा
dr rajmati Surana
शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
Ritu Asooja
What consumes your mind controls your life
What consumes your mind controls your life
पूर्वार्थ
समय
समय
Neeraj Agarwal
"जिन्दगी के सफर में"
Dr. Kishan tandon kranti
यार मेरा
यार मेरा
ओसमणी साहू 'ओश'
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
Atul "Krishn"
पत्थर की अभिलाषा
पत्थर की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
*ज़िन्दगी*
*ज़िन्दगी*
Pallavi Mishra
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
इस कदर मजबूर था वह आदमी ...
इस कदर मजबूर था वह आदमी ...
Sunil Suman
कुंडलिनी
कुंडलिनी
Rambali Mishra
मज़दूर
मज़दूर
कुमार अविनाश 'केसर'
गीत- लगें कड़वी मगर बातें...
गीत- लगें कड़वी मगर बातें...
आर.एस. 'प्रीतम'
जो मिला उसे स्वीकारो या बदलाव करो,
जो मिला उसे स्वीकारो या बदलाव करो,
Karuna Goswami
Loading...