प्रेयसी
कितना अच्छा हैं तुम्हारा चरित्र,
मन से नहीं मिटता तुम्हारा चित्र,
प्यार और स्नेह कि तुम हो मूरत,
कितनी भोली हैं तुम्हारी सूरत,
जब मैंने तुमको देखा था ,
सच्चा मित्र मैंने पाया था,
मित्रता कि तुम थी मिसाल,
हृदय तुम्हारा था विशाल,
कदम कदम पर मिला तुम्हारा साथ, मुश्किलों में भी नहीं छोड़ा तुमने हाथ,
तुमने बिना बोले निकालें बरस सात ,
मैं नहीं भूला तुम्हे चाहे दिन हो या रात,
बचपन की यारी ,थी कितनी गहरी,
सपनों की तुम, थी मेरी प्यारी परी,
जग में रहो कहीं भी खुश रखेगा ईश,
नहीं भूलेगा कभी तुमको यह जगदीश,
।।जेपीएल।।।