प्रेम
फिर आई रात सुहानी
फिर नया गीत गुनगुनायेंगे
बिखर गया ज़माने के सितम से
फिर से उसे बसायेंग
नफरत की आंधिया ले उड़ी जिसे
प्यार से फिर सजायेंगे
बिखरा हुआ आशना फिर हम सजायेंगे
प्रिय तुम न समझ सकी जिस बात को
उसे फिर से दौहरायेंगे
दुनिया के डर से कदम जो रुके
उन्हें आगे फिर से बढ़ाएंगे
बिखरा हुआ आशना फिर हम सजायेंगे
प्यार पर के बार यकीन तो करो
प्यार का वादा मरकर भी हम निभाएंगे
सफ़र मे पीछे हटने वाले
एक कदम तो बढ़ा ले
दो कदम आगे हम बढ़ाएंगे
अकले मे सफ़र न कर पाएंगे
साथ अगर तुम दो तो जीवन भर चल जायेंगे
बिखरा हुआ आसन फिर हम सजायेंगे