प्रेम
प्रेम,
अनिर्वचनीय भाव
ईश्वर तक पहुंचने का
सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
क्षणिक सुख-दुख जगत मे
परमानन्द अहसास है।
किन्तु प्रेम की सत्ता को
उसमें पूरी तरह डूबकर
एकाकार होकर ही
पा सकते है।
प्रेम में डूबा व्यक्ति
चेतना के सर्वोच्च स्तर पर
समासीन हो जाता है ।
एक आभा छा जाती है
उसके व्यक्तित्व में ।
दुनिया के सारे दर्शन, ज्ञान
एक प्रेम में डूबकर
समझे जा सकते है।
नैतिकता व मानवता
प्रेम के अलंकरण हो जाते है
बस शर्त है कि
खुद को मिटा दो
और पूरे डूब जाओ प्रेम में
जैसे मीरा, सूर कबीर,
और रसखान डूबे थे
किन्तु अगर डूबने से डर गए
या लेशमात्र भी
बचा लिया खुद को
तो अधूरे ही रह जाओगे
जीवन भर फिर
सालता ही रहेगा ये अधूरापन
प्रेम की पूर्णता न पा सकोगे।
सबका उद्धार करने को
यही प्रेम का पाठ पढ़ाने
हमारे राधा कृष्ण धरा पर आए।