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22 Feb 2024 · 1 min read

प्रेम

प्रेम की परिभाषा नहीं इतनी सरल है
सागर से भी गहरा यह प्रेम रंग हैं
प्रेम पवित्र ह्रदय की गहराई
अन्तर मन में बहती निर्मल धारा
विरहिणी करें विरह अग्नि में तप कर
पतंगा और बाती का अटल प्रेम
चातक का स्वाति नक्षत्र से अगाध प्रेम
जीवन में इन्द्रधनुष सा प्रेम रंग
सुने उपवन में बसंत सा प्रेम
मीरा बनी जोगन गिरधर की
गोपीयन संग गिरधर नागर का प्रेम
आत्मा वह ईश्वर का पवित्र प्रेम
सरल सरीखी प्रेम रस धारा
प्रेम रस अविरल प्रवाह धारा ।

नेहा

Language: Hindi
61 Views
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