प्रेम..
मौन रख कर होठों को
आँखों से बाते आँखों की होने दो
बहुत पावन है प्रेम प्रिये
रूह से रूह का आलिंगन होने दो
जिस्मों की ख्वाहिश रखें क्यूँ
धड़कन को मिल कर धड़कन से
कथा नयी एक रचने दो
माना, है अभिशप्त प्रेम
प्रिये,..
शबनम सी पावनता इसकी
मन मंदिर में सजने दो
हिमांशु Kulshreshtha