उस जैसा मोती पूरे समन्दर में नही है
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
वो दौर अलग था, ये दौर अलग है,
रक्षा बंधन
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
राहें आसान नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
मासूम कोयला
singh kunwar sarvendra vikram
अगीत कविता : मै क्या हूँ??