प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से , जीवन के अंगना।
खनकती है पायल ,बज उठता है कंगना।
मन मयूर सा नाचे ,बजने लगते हैं ढोल
प्रियतम ग़र आकर ,बोल दे मीठे बोल।
मारे लाज के झुक जाये ,ये कजरारे नैन
बिन पिया के सब सूना,आये न मोहे चैन।
कितना खूबसूरत होता है, रिश्ता प्यार का
मज़ा ही कुछ और है उस पर इंतज़ार का
सुरिंदर कौर