“प्रेम रोग”
“प्रेम रोग”
रोशनी हो ना सकी, दिल भी जलाया मैंने,
तुझको भुला न पाया, लाख भुलाया मैंने।
है ये कैसी प्यास, जो अन्तहीन सी लगती,
बुझ ना सकी कभी वो, लाख बुझाया मैंने।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“प्रेम रोग”
रोशनी हो ना सकी, दिल भी जलाया मैंने,
तुझको भुला न पाया, लाख भुलाया मैंने।
है ये कैसी प्यास, जो अन्तहीन सी लगती,
बुझ ना सकी कभी वो, लाख बुझाया मैंने।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति