प्रेम महाशक्ति ईश्वर की
प्रेम है महाशक्ति ईश्वर की
जो ब्रह्मांड चलाती है
आकर्षण की डोर है यह
रिश्तो में गूंथी जाती है
प्रेम के हैं सब रिश्ते नाते
प्रेम ही सदा निभाता है
प्रेम है एक निस्वार्थ भावना
जो संसार चलाता है
प्रेम विराट धारा गंगा सी
सारा जग मुक्ति पाता है
प्रेम अमृत है सृष्टि का
अमरत्व जीव पा जाता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी