प्रेम भाव।
ना कहीं कोई शत्रु मेरा,
ना मेरा कोई मित्र है,
हर तरफ अब दिल में मेरे,
बस प्रेम भाव का चित्र है,
ना जुड़ाव है ना लगाव है,
ना किसी से कोई अलगाव है,
ना बाकी रही कोई कड़वी याद,
ना शब्दों के दिल पे घाव हैं,
ना टूटा ना कुछ छूटा है,
संबंधों में अलग सा ठहराव,
असंभव वर्णन प्रेम भाव का,
कि शब्दों का गहरा अभाव है,
अपने-पराये सब एक हो जाएं,
कुछ ऐसा इस प्रेम का भाव है।
कवि- अंबर श्रीवास्तव।