******** प्रेम भरे मुक्तक *********
******** प्रेम भरे मुक्तक *********
******************************
1
रात भर याद कर उस को रोया हूँ मै,
ख्वाबों – ख्यालों में हरदम खोया हूँ मै,
नींद आती नहीं है दिल को चैन नहीं,
पल भर भी नहीं कसम से सोया हूँ मै।
2
जब से नजरें मिली दिल बेकाबू हुआ,
इस कदर उनका हम पर यूँ जादू हुआ,
देखते – देखते हो गया हम पर असर,
आँखों से मोती बन जुदा आँसू हुआ।
3
बनते – बनते बिगड़ गई बातें प्यार की,
याद आती बहुत हमें बिछड़े यार की,
क्या करे मनसीरत वश चलता ही नही,
छिड़ रही हैँ जुबान जब से तकरार की।
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)