“प्रेम पथिक “
रचना विषय- प्रेम पथिक
रचनाकार – रेखा कापसे “रेखा_कमलेश”
दिनाँक- 21/08/2020
दिन- शुक्रवार
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भूल के रुख बेरुखी का,
एक-दूजे को स्वीकार करे! (1)
प्रेम पथिक बन हम दोनो,
प्रीत जीवन अंगीकार करे!! (2)
कुछ तुम बोलो मैं सून लूँ,
सुर मधुर मैं भी घोलूँगी! (3)
पट खोलो अपने दिल के,
द्वार हृदय के मैं भी खोलूँगी!! (4)
घोल मिश्री सम प्रीत,
परस्पर जांँ निसार करे! (5)
प्रेम पथिक बन हम दोनो,
प्रीत जीवन अंगीकार करे!! (6)
तुम हमसफर राही डगर के,
तू ही तो दिलबर है मेरा ! (7)
बिन तेरे सूनी लगती राहें,
यादों का प्रतिपल सजता डेरा!! (8)
घोर तिमिर के साये में,
उर स्पंदित सहर उद्गार करे! (9)
प्रेम पथिक बन हम दोनो,
प्रीत जीवन अंगीकार करे!! (10)
विपदा विकराल राह खड़ी हो,
दुनियाँ हमें तोड़नेे अड़ी हो! (11)
दुख के मंडराए मेघ घने,
चित्त घिरा हो तुफानों से!! (12)
शूल बिछे हो राहों में,
मिल हौसलों की धार करे! (13)
धैर्य से नेह सिंचित पथ पर,
योगित खुशियों का सत्कार करे!! (14)
प्रेम पथिक बन हम दोनो,
प्रीत जीवन अंगीकार करे!! (15)
डाल हाथों में हम हाथ चले,
नवजीवन की शुरुआत करे! (16)
लिए सात जन्मों का वादा,
प्रति जनम मिलन की बात करे!! (17)
उर उत्तिष्टित हर स्वप्न को,
जीतोड़ मेहनत से साकार करे! (18)
कर किनार कसर दूजे की,
निर्मित फलक सा संसार करे!! (19)
प्रेम पथिक बन हम दोनो,
प्रीत जीवन अंगीकार करे!! (20)
रेखा कापसे “रेखा_कमलेश”
होशंगाबाद मप्र
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अप्रकाशित रचना