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19 Feb 2022 · 1 min read

प्रेम में इजहार के दिन नहीं होते

भेज रहा हूँ जो मुझे मिला ,
दया, करुणा, प्रेम, प्रवाह.
भीड़ जिसकी आयोजक है.
बहती बन नफरत अथाह.
.
बहती है जो ,दो धारों बीच.
आदि प्रवाह अंत अनंतहीन.
जो मिला वो सौंप रहा हूँ .
अपने पास कुछ रखता नहीं.
.
बचपन पाया उसे फैलाया.
जग जन ने खूब समाया.
डोडी कलि पुष्प बन खिली.
खूब मिली बढी यौवन छाया.
.
यौवन झूले बुजुर्ग बोले सहेजे
नहीं सहजता है,ये अमृतबेला है.
आयोजित कर दिए पीले कर.
ज्वालामुखी कब रूका करते है.
.
धूम धड़ाम लपटें, अंबर चढ़ती है.
अच्छे अच्छों की दौलत फीके..
पड़ जाती है, तराजू तौल नहीं पाती
वो है प्रेम वो है प्यार, करो विचार.

डॉक्टर महेन्द्र हंस

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 300 Views
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