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19 Jan 2022 · 1 min read

प्रेम की रीत

!! श्रीं !!
आधार छंद शृंगार
(16 मात्रा , त्रिकल के बाद द्विकल, चरणांत गाल)
०००
प्रेम की रीत
०००
छिपा हो जब अंतस में प्यार ।
करे सजनी सोलह शृंगार ।।(१)

नयन फिर करें इशारे मौन ।
मूक वे व्यक्त करें अभिसार ।।(२)

दिवस जब आये करवा चौथ ।
करे निर्जल व्रत सजनी धार ।।(३)

एक दूजे मिल होते पूर्ण ।
इसी से चले सृष्टि संसार ।।(४)

निराली बड़ी प्रेम की रीत।
जीतता वह जो जाता हार ।।(५)

तोड़ मत देना सुंदर लीक ।
सदा ही करना मृदु व्यवहार ।।(६)

‘ज्योति’ लिख नेहीले से छंद ।
गीत से छलके रस की धार ।।(७)

महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***

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