प्रेम की बयार
प्रेम की बयार!!!
हे!प्रभु तुम प्रेम रसधार,
की बौछार करदो।
प्रेममयी दरिया में नहा लें,
वो नदियां बहा दो।।
सकल जगत में फैलादें,
निश्चल हृदय की बयार।
देख सारे जहां का आलम,
मन हे!रोता बार-बार।।
धरती पर!गर प्यार न होता,
सारा जगत वीरान होता।
सूना होता आसमां,
चांद तारे भी न होते।
चांदनी की स्वर्णिमा भी न होती,
पर!तेरे आने से रात भी,
अमावस की पूनम हो जाती——
हे!प्रभु तुम चांदनी फैलाकर,
दिव्य प्रकाश कर दो।
मानव के जीवन पथ में,
ज्योति पुंज बिखरा दो!!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,