प्रेम की चाहा
मैं अनाथ मुझे चाहा माई बाबू बहन भाई का प्यार, सुना मेरा संसार ना घर ना बाहर मेरा हमदर्द ना संसार।
मैं हूं युवा अब कजरारे नैनों से है मुझे प्यार, वह क्यों समझे मुझे बेकार, क्या धन नहीं है मेरे पास।
धन मेरे प्यारे दिल से भी ज्यादा बेईमान, आसानी से पा ले सब का प्यार।
मैं बूढ़ा हूं भरे पूरे परिवार की चाह, बूढ़ी धर्मपत्नी का मांगू प्यार,
अंतिम क्षण में मिला सच्चा प्यार, ऊपर वाले ने मोहब्बत की अपार बुलाया अपने पास।