प्रेम का संगीत…
किसी का संग पाकर जब,
मन के तार झंकृत हों,
कोई कंपित सी वीणा हो,
नवसुर अलंकृत हों..
पुलकित मन मिलन को हो,
तरंगे आह्लादित हों,
तन तक न सीमित हो,
परम अनुनाद उनमे हों…
समझना प्रेम का संगीत,
कोई अंत:करण मे हो,
समस्वर मे गाये जब ह्रदय,
नव रस उसी हो…
©विवेक ‘वारिद’ *