प्रेम-कहानियाँ
तुम्हें ऐसा क्या प्रेम-उपहार दूँ?
जिसे तुम सदा-सदा रख सको
अपने पास सँजोकर
कभी-कभी सोचता हूँ
प्रेम कविताएँ लिखकर
एक पुस्तक भेंट करूँ
फ़िर स्मृतियों में
प्रश्न दौड़ता है
कितनी प्रेम-कहानियाँ है?
जो पुस्तकालयों की
अलमारियों में
धूल चाट रही होंगी
या
जिस काम को
दुनिया नही कर पाई
एक दीमक ने ही
प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम के
बीच के हिस्से को काटकर
उन्हें अलग-अलग कर दिया होंगा-
कुल मिलाकर
ना तो मैं यह चाहता हूँ
हमारी कहानी पर कोई धूल चढ़े
और ना ही मैं
तुमसे अलग होना चाहता।