प्रेम करें…. यदि
प्रेम करें सागर से यदि तो
खारा जल मीठा हो जाए
प्रेम करें पेड़ो-पौधों से
तो न प्रदूषण हमें सताए
प्रेम करें पर्वत से यदि तो
वह चरणों में नत हो जाए
प्रेम करें यदि वैरी से तो
गीत प्रशंसा के वह गाए
प्रेम करें यदि अंधकार से
तो पथ आलोकित हो जाए
प्रेम करें जगदीश्वर से तो
वह अपने सन्निकट बुलाए
प्रेम करें असफलता से तो
हेतु सफलता का बन जाए
प्रेम मार्ग ने सदा सभी को
सारे भौतिक सुख पहुंचाए
प्रेम मिले तो हिंसक पशु को
हिंस्र भाव विस्मृत हो जाए
और उड्डयनशील विहग में
मिलनातुरता विकट समाए
प्रेम एक ऐसी भाषा जो
सदा समझ में सबकी आए
मूढ़ अगर ज्ञानोपदेश दे
ज्ञानी सुन-सुनकर इतराए
महेश चन्द्र त्रिपाठी