प्रेम – आस्था और ऑनर किलिंग
मैं लगभग पिछले १५ दिनों से इस विषय पर लिखने की रूपरेखा बना रहा था | इस बीच सोशल मीडिया पर एक घटना वायरल हो गयी, इस घटना से इस विषय पर लिखने की मेरी इच्छा और बलवती हो गयी | आइये शुरू करते हैं :
प्रेम – ये विषय मात्र नहीं है बल्कि ये एक भावनाओं का अनंत आकाश है, इस पर जितना भी लिखा जाये कम है | अभी तक बहुत से विद्वानों ने इस विषय पर बहुत कुछ लिखा है, मैं खुद इस पर लिख चुका हूँ मगर फिर भी हर बार कुछ नया ही विचार मन में आ जाता है |
प्रेम में इस संसार की सर्वोत्तम भावना है और हर कोई इसको कभी न कभी किसी न किसी रूप में जीता है | यहाँ पर मैं प्रेम और आत्मसम्मान में की जाने वाली हत्याओं के सम्बन्ध में अपने विचार लेकर आया हूँ |
प्रेम में हम सबकी गहन आस्था है और शायद ही किसी को मेरी आस्था वाली बात से इंकार हो | हमारे देश में प्रेम में आस्था इतनी अधिक है 09की भगवान् श्री कृष्ण को हर घर में किसी न किसी रूप में पूजा जाता है | कही मथुरा के कृष्णा, कही गोकुल के माखनचोर, यशोदा के कान्हा, गोपियों के सखा, तो कहीं द्वारकाधीश और भगवान् विष्णु के रूप में | गोपियों के सखा श्री कृष्णा सभी गोपियों संग प्रेम में थे मगर राधा रानी के संग तो उनका प्रेम जगत प्रसिद्ध है | श्री कृष्ण का नाम कभी भी उनकी पत्नी के साथ नहीं लिया जाता बल्कि उनकी प्रेमिका राधा रानी के साथ असीम श्रद्धा से लिया जाता है | श्री कृष्ण के मंदिर में उनके साथ राधा रानी की विराजमान रहती हैं | यहाँ तक की कट्टरताम लोग भी श्री कृष्ण को राधा रानी के साथ गहन श्रद्धा से अपना शीश नवाते हैं |
लेकिन जब प्रेम भगवन से होता हुआ जब हमारे वास्तविक जीवन में उतर आता है तो हम लोगों की सोच का दायरा इतना क्यों सिकुड़ जाता है कि हम अपनी ही संतान, भाई बहिन की हत्या पर उतारू हो जाते हैं, बल्कि मार ही देते हैं | प्रेम तो वही है उसका स्वरुप भी वही है | हालांकि आज के भौतिकतावादी युग में वासनामुक्त प्रेम की परिकल्पना कर पाना मुश्किल है लेकिन फिर भी प्रेम तो प्रेम ही है | हम प्रेम की पूजा तो करते हैं मगर उसको जगह नहीं देते | कुछ मामलों में बेटे के प्रेम को तो हम स्वीकार कर भी लेते हैं लेकिन बेटी के प्रेम को स्वीकार करने के मामले संख्या में नगण्य हैं लेकिन ऑनर किलिंग के मामले में बेटियों के मामले अव्वल नंबर पर हैं | अगर एक बेटी अपने प्रेमी से घरवालों की मर्जी के खिलाफ शादी करती है तो उसको ये समाज सही नज़र से नहीं देखता और न ही सम्मान देता है |
मैं ये नहीं कहता की प्रेमियों को माता पिता खिलाफ जाकर ही शादी करनी चाहिए लेकिन क्या हो जब माता पिता दोनों के विवाह के लिए तैयार ही न हों ?
माता पिता ये क्यों नहीं सोचते कि उनको बेटी की शादी कहीं तो करनी ही है तो उसका प्रेमी क्यों नहीं? हाँ, माता पिता अपने स्तर पर जांच परख अवश्य करें जो की उचित भी है | बच्चों को भी इसमें माता पिता को सहयोग करना चाहिए | ऑनर किलिंग को कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता| बेटी है तो ऑनर किलिंग के नाम पर उसको मार दो मगर बेटा तो बेटा है वो तो नाम रोशन करेगा, वंश आगे बढ़ाएगा | इस सोच से मुक्ति पाओ | जो कृष्ण भक्त हैं शायद वो जानते हों कि श्री कृष्ण ने भी अपनी बहिन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से विवाह करवाया था, अर्जुन को सुभद्रा को भगाने की सलाह भी श्री कृष्णा ने ही दी थी, यहाँ तक कि भगवान् श्री कृष्ण ने भी रुक्मणि से भागकर ही विवाह किया था | भगवान् कृष्ण के बहुत से किस्से कृष्ण लीलाओं के नाम से विख्यात हैं |
इतना सब हमारे इतिहास में हुआ है और फिर भी हम श्री कृष्ण, राधा, रुक्मणि हमारे पूज्य हैं तो हमारी अपनी संतान क्यों नहीं? आखिर क्यों होती है ये ऑनर किलिंग? क्या ऑनर किलिंग करने से हमारा सम्मान लौट आता है ? नहीं, बल्कि हम हत्यारे अवश्य बन जाते हैं |
अब हम थोड़ी से बात विदेशों की भी करें तो माता पिता बच्चों के बालिग़ होने के बाद उनको सही गलत की सलाह तो देते हैं लेकिन अगर उनके बच्चे किसी विपरीत लिंगी दोस्त के साथ घर आते हैं तो कोई शोर शराबा नहीं करते बल्कि सामान्य व्यवहार ही करते हैं | यहाँ तक कि जब वो डेट पर जाते हैं तो माता पिता को बताकर ही जाते हैं कि हम अपने उस दोस्त के साथ डेट पर जा रहे हैं | पहली डेट को उनके घरवाले भी जश्न की तरह मनाते हैं | हमारे देश में जहाँ भगवान् कृष्ण को प्रेम के लिए याद किया जाता है, कोई भी लड़का लड़की अपने माता पिता को यह नहीं बता कर जा सकता/सकती कि हम अपने बॉय फ्रेंड या गर्ल फ्रेंड के साथ जा रहे हैं |
अगर हम अपने बच्चों की बात भी सुनेंगे तो घर से भागने की नौबत ही नहीं आयेगी बल्कि बच्चे सुरक्षित रहेंगे और सबकुछ हमसे शेयर करेंगे | अपने सभी दोस्तों के बारे में हमको बताएँगे | हमें उनपर नजर रखने की या जासूसी करने की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी |
प्रेम था, प्रेम है और प्रेम सदा सर्वदा रहेगा अनंत काल तक | हमें इससे जंग नहीं लड़नी बल्कि प्रेम को अपने में आत्मसात करना है सिर्फ माता पिता के रूप में ही नहीं बल्कि भाई, बहिन, बेटा, बेटी, बेटे की प्रेमिका, बेटी के प्रेमी हर रूप में |
– सन्दीप कुमार ‘भारतीय’