प्रेम आपका पुस्तक मेरी
हा हा मैं एक छोटी सी, पुस्तक का विमोचन चाहती हूं
कलम से अपनी आप सभी के ह्रदय पर लेखन चाहती हूं
हा हा मै एक छोटी सी ,पुस्तक का विमोचन चाहती हूं
ना चाह है मेरी पुस्तक बिके बाज़ार में
ना कीमत लगे उसकी,सौ, दौसो या हज़ार में
मेरे भाव जो शब्दो का रूप ले उभरते है
उनको आप सभी के प्रेम का समर्पण चाहती हूं
हा हा मै एक छोटी सी, पुस्तक का विमोचन चाहती हूं
हर एक पन्ना आप लोगो के ह्रदय से श्रजित हो
अमूल्य हो अमिट हो, राग द्वेष से मुक्त हो
आप सभी के साथ से रचना की गूथकर माला
प्रेम से काव्य को अर्पण करना चाहती हूं
हा हा मै एक छोटी सी, पुस्तक का विमोचन चाहती हूं
बंद दुकानों में नहीं, आप सभी के मस्तिष्क में विचरण चाहती हूं
हा हा मै एक छोटी सी, पुस्तक का विमोचन चाहती हूं
प्रज्ञा गोयल ( कॉपी राईट)