प्रेममयी वर्णण
**प्रेममयी वर्णमाला**
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अ से अंग यौवन भारी
आ से आँखें तेरी प्यारी
इ से इत्र तन से है आए
ई से ईश तुम में समाए
उ से उल्लू सीधा होवे
ऊ से प्रेय उजाले होंवे
ऋ से ऋचा चाहत मेरी
ए से एक हम हों जाएं
ऐ से ऐडी चोटी मिलाएं
ओ से ओर नहीं तुमसा
औ से और मैं हूँ तड़फा
अं से प्रेम अंगूर है खट्टे
अः खाली है चाहत मेरी
क से सुन्दर काया तेरी
ख से छाई खुमारी तेरी
ग से गुमसुम रहता हूँ
घ से थोड़ा घबराया हूँ
ड़ खाली है चाहत मेरी
च से चितचोर हैं अदाएं
छ से छाया मिल जाए
ज से जन्नत हो तुम मेरी
झ से झोली में तुम मेरी
ञ खाली है चाहत मेरी
ट से टस ना मस होती
ठ से ठंडी हो तुम भोली
ड से डम डमरू है बाजे
ढ से ढ़ोल प्रेम का बाजे
ण खाली है चाहत मेरी
त से ताके प्यासी आँखें
थ से थर्राती हैं प्रेम राहें
द से दरियादिली है तेरी
ध से धन माया वो मेरी
न से नखरे है चाहत मेरी
प से पदमिनी हो जैसी
फ से फ़लित फूलो जैसी
ब से बगीची उल्लासित
भ से भरपूर है आन्नदित
म से मृदुल है चाहत मेरी
य से यादों में तू रहती हो
र से रंगो में तुम रंगती हो
ल से लम्हे हैं बहुत प्यारे
व से वर हमें चुनो तुम्हारे
श से शर्मीली चाहत मेरी
स से सुखविंद्र हुआ तेरा
ष से षड्यंत्र प्यार है तेरा
ह से मैं तुम हम हो जाएं
क्ष से हर क्षण तुम्हें पाए
त्र से त्रिलोकी दर्शन तेरे
ज्ञ से ज्ञपित चाहत मेरी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)