*प्रेमचंद (पॉंच दोहे)*
प्रेमचंद (पॉंच दोहे)
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(1)
‘बूढ़ी काकी’ हो गया, युग-युग का ज्यों दंश
बूढ़ों को ठगते दिखे, उनके अपने वंश
(2)
‘ईदगाह’ में दिख रही, बचपन की तस्वीर
चिमटा लेकर आ गया, बच्चा घर की पीर
(3)
‘नमक-दरोगा’ की कथा, दुर्लभ सच्चे लोग
कहॉं खत्म रिश्वत हुई, जारी अब भी रोग
(4)
उलट कहानी सब गई, हारा साहूकार
अरबों खाकर बैंक के, चंपत अश्व-सवार
(5)
सहज-सरल शब्दावली, धारदार संवाद
मन को छू लेती कथा, प्रेमचंद की याद
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451