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7 Feb 2021 · 1 min read

प्रीत

जीवन उपवन में बसन्त का आगाज तुम
हृदय में नव राग सा मधुर संगीत हो
प्यासे नयनों में झरता झर प्रिये तुम
मधुर स्मृतियों में सुखद अहसाह हो

नीरस जीवन में रस भर आता तुम संग
विपदाओं का हो शोर घना चाहे हर पग
सहज सुलझ जाती राहें जो अनजानी सी
विश्वास और प्रेम से तुम संग है बीती

दिया और बाती सी प्रीति चलने की यही रीति
सिंचित हो प्रेम बेल प्रेम रस भर जीवन में
तुम संग स्वप्न मेरे बन गये प्राणों के आधार
तुम शान्त सिन्धु मैं चंचल तटिनी सी धार

नभ में प्रातः की लालिमा सम भरी उमंग
संध्या में क्षितिज सा यह मधुर मिलन
विस्तृत नभ से तुम मैं धरा सम लिए आस
प्रीत जिसकी पले लिए मधुर आभास

जीवन पथ केअनुभव में नया सार यहाँ
हर तम के बाद आती नयी भोर सदा
भानु रश्मि प्रभात में जैसे बिखरे धरा पर
जीवन महके हर्ष से निखरे सदा प्रेम रस

27 Likes · 38 Comments · 1372 Views
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