प्रीत के ही गीत गाना चाहता हूँ
प्रीत के ही गीत गाना चाहता हूँ
प्यार मै सबको सिखाना चाहता हूँ
मैं विरह के गीत गाकर क्या करूँगा
वेदना में मुस्कुराना चाहता हूँ
पास सब कुछ है मगर कुछ है अधूरा
बांट खुशियाँ प्यार पाना चाहता हूँ
चंद मुर्झाए हुए चेहरे खिला कर
मैं सुकूने रूह पाना चाहता हूँ
बाँसुरी सा खोखला जो हो सकूँ तो
कृष्ण मैं सबको रिझाना चाहता हूँ
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद.
मोबाइल 9456641400