प्रीत के ही गीत गाता __घनाक्षरी
प्यास लगी प्यास लगी _ मुझको तो प्यास लगी।
प्याला कोई प्रेम का तो मुझको पिलाओ रै।।
प्रीत के ही गीत गाता_ आता नहीं और कुछ।
मेरी सरगम में भी राग तो मिलाओ रै।।
घूमता हूं गली गली __ पूछता हूं दर _दर।
भोजन हो प्रेम का तो मुझको खिलाओ रै।।
प्रेम मेरा साज बाज इसी को बजाता फीरूं।
सिखाऊंगा तुमको भी स्वर तो मिलाओ रै।।
राजेश व्यास अनुनय