प्रीत की डोर
ये अश्क होते मोती
यदि आँख तेरी रोती
लेता पिरो मैं आँसू
जो प्रीत डोर होती
मै बांसुरी सा बजता
तू होश अपने खोती
दिल हार के मैं हँसता
तू जीत कर भी रोती
मैं नींद तेरी बनता
तू ख्वाब बस संजोती
मै चांदनी ले आता
तू रातरानी सोती
-डॉ अर्चना गुप्ता(मुरादाबाद उप्र)