प्रीतम प्याला प्रेम का
हँसके करना काम तुम,रोने का ना लेना नाम तुम।
रोशन होगी ज़िन्दगी,हरपल होके रहना आम तुम।।
अंतर की हो बात जब,सुनके होता है नुकसान ही।
सारे बंदे नेक हैं,आए धरती पर मेहमान ही।
सच्चाई ये भूल के,ना लेना रिश्तों का दाम तुम।
रोशन होगी ज़िन्दगी,हरपल होके रहना आम तुम।।
ख़ुशियाँ सागर मौज़-सी,साहिल-जैसा तेरा मान है।
मिलकर जाएँ दूर ये,आना ना इतना आसान है।
पाना-खोना भूल के,बस करना समता का काम तुम।
रोशन होगी ज़िन्दगी,हरपल होके रहना आम तुम।
प्रीतम प्याला प्रेम का,प्रतिपल पीते जाना झूम के।
बरसे ज़न्नत नूर फिर,तेरे वादों को ही चूम के।
सुबहों-शामों का मज़ा,लेकर भरभर पीना ज़ाम तुम।
रोशन होगी ज़िन्दगी,हरपल होके रहना आम तुम।।
हँसके करना काम तुम,रोने का ना लेना नाम तुम।
रोशन होगी ज़िन्दगी,हरपल होके रहना आम तुम।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
———————————–