प्रीतम दोहावली- 2
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
लोहे पर पारस घिसो, सोने जैसी शान।।//1
पढ़ो सदा ही रुचि लिए, होगा सच्चा ज्ञान।
यही बनाएगा तुम्हे, नेक बड़ा इंसान।।//2
रखना ऊँची सोच तुम, लेना प्रभु का नाम।
मुश्क़िल से मुश्क़िल बने, सफल तभी हर काम।।/3
ध्यान लगाकर जो पढ़े, देकर गुरु को मान।
लक्ष्य वही हासिल करे, जिसका हो अरमान।।/4
कार्य करो हँसकर सदा, मिले तुम्हें सम्मान।
सूर्य-चंद्र-ज्यों नभ खिला, पाते जग का ध्यान।।/5
हृदय चुराकर जो किया, समझो उसको व्यर्थ।
शब्द सभी बेकार हैं, लिए नहीं जो अर्थ।।/6
दुख के आगे सुख छिपे, होना नहीं निराश।
रहे अँधेरा रातभर, बीते निशा प्रकाश।।/7
#आर. एस. ‘प्रीतम’