#प्रीतम के दोहे
मुझसे सहमत सब रहें, कभी नहीं उम्मीद।
बद सद् उर सबके रहूँ, दुवा यही ताकीद।।
बद होते हैं सब यहाँ, चर्चा में बदनाम।
जिसके हिस्से पाप नहिं, सुना नहीं वो नाम।।
प्रीतम हँसके प्यार से, देना सबको प्यार।
जिसको हँस स्वीकार हो, वो ही सच्चा यार।।
छल करके हरपल हँसा, रखा हृदय में ख़ार।
प्रीतम पगला वो बड़ा, ख़ुद से ही लाचार।।
करे बहाना खीजकर, कायर कमला एक।
सफल नहीं संसार में, लिए बुद्धुपन टेक।।
प्रीतम तेरे प्रेम में, मन रहता ना मौन।
तुमसे से दिल शाद है, तुमसे अच्छा कौन।।
#आर.एस.”प्रीतम”