प्रिय
चाल है तेरी हिरनी जैसी, उफ ये लम्बे बाल प्रिय
आँखे है तेरी नागिन जैसी, लगा ये उनपे काला काज प्रिय
होट है तेरे गुलाब जैसे, गुलाबजामुन से है गाल प्रिय
कमर है तेरी मोर जैसी , दिखने में हो तुम चाँद प्रिय
तिरछी तिरछी इन नज़रो से , चलाओ न हमपे वान प्रिय
के तू मंद मंद मुस्कान से, न लो हमरी जान प्रिय
के ,तू आसमान से आई है , तू है अप्सराओं के समान प्रिय
के, तू है विमल इलायची सी , तो मैं हू थूका पान प्रिय
के, तू है बारिश का मौसम सी , तो मैं हू सूखा अकाल प्रिय
बस इक बारी हम पर बरस जाओ , करो न यू अभिमान प्रिय
के हमको तुमरे प्रेम रस का, करने दो रसपान प्रिय
के लिखने में कुछ हो गई हो गलती , तो देना हमको क्षमादान प्रिय
✍️ The_dk_poetry