प्रिये
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
याद जब भी करो चाहे
जब भी पुकारों दिल की
गहराई यादों की परछाई में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
तुम्हारे प्यार की गलियों में
तुम्हारे चाहतो की राह में
तुम्हारी खुशियों मुस्कान में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
तेरे इश्क इबादत में
तेरे हुस्न के बहार में
तेरे हुस्न इश्क के चाँद चॉदनी की ठंढी छाँव में तेरे नज़रों की नूर में ।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
हुस्न ढल जाएगा तेरा ही
चेहरा जवां जज्बे का गुरुर
आईना देख शर्मायेगा तेरे
अरमानो का सूरज शाम को
जायेग तन्हा तेरा वजूद मेरे
दिल दामन का हिस्सा रह जाएगा।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
जवां दिल की आग शोलो में
शबनम की बूँद प्यार के खुमार
में भौरों के गुंजन गान में
गुलशन गुलज़ार में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
जिंदगी के दर्द गम में आंसू की
बूँद में तेरे दर्द गम आंसू को
समेटते तेरे दामन से दर्द आंसू
आरजू के आसमान के परिंदों
परवाज़ में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
जिन्दगी के तूफ़ान भँवर में
लड़खड़ाती कश्ती के पतवार में जिंदगी के वीरानियों रेगिस्तान में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
तेरी हर साँसों धड़कन जान में
तेरी बचपन से जवानी की राह में
तेरे हर जज्बे जज्बात में
तपिस सर्द सावन की फुहार
वासंती वयार में।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
जिंदगी की मस्ती हस्ती के
हर हद हसरत मुकाम पे
हर उमंग तरंग अंदाज़ आवाज़ में।।
मै मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये
जिंदगी के हर लम्हों सुबह
शाम दिन रात जिंदगी के साथ
इंतज़ार इज़हार में जिस्मानी
जिंदगी में साथ।।
मैं मिलूंगा तुम्हे वहीं प्रिये
जिस्मानी जिंदगी के रुक्साति में
रूहानी जिंदगी के रूह में करम
धरम की जिंदगी में या कयामत
और खुदा का करते इन्तज़ार।।