प्रित
करूण कोबर,जाऐ दुलहनिया
सूतक संमाद, लेने संगतिया।
दुलहनि जाहि, दुलरि आबि नंदनी,
दुलरि साजैथ छथि, आँगन मोर।
सजनि के बाट, नोर-छहर भेल,
मनक कथा, कहू गेल ।
सपना टूटल, भंग भेल,
बिसरल मीत, माए मैथिली ।
दुलहनि मोन, लोक गाबय ,
सपना सजय, होए संगीत।
तुलसी माए, गमकैय सुगंध,
स्मृतिक कोना,भारत देस !
करूण कोबर, स्नेह बुनैय धीया,
मोनमे सजल, प्रिय-सनेह प्रीत।
दुलहनि जाहि, होए संजोग,
दुलरि सजैए, सिनेहक गीत।
—_–श्रीहर्ष