“प्रार्थना”
“प्रार्थना”
निःशब्द, मौन और मूक होती है- प्रार्थना।
यह मौन प्रार्थना ही परमात्मा तक पहुँचती है, क्योंकि भाषा मनुष्य ने गढ़ी है। लेकिन प्रार्थना में लोग धन-सम्पत्ति, पद, प्रतिष्ठा मांगते चले जाते हैं। परमात्मा ने जो हमें दिया है, उसके प्रति अहोभाव और कृतज्ञता व्यक्त करना भूल जाते हैं।