” प्रार्थना “
हे उमापति, सुन लो विनती
हृदय से बुलाया करते हैं
इंसान न रहना चाहे जहां
दिन रात सताया करते हैं
पल-पल टूटते अरमां जहां
उस बस्ती में हम रहते हैं
हे उमापति ………………
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हैं बली बने लाचार जहां
चुप-चाप बिताया करते हैं
मासूम से लगते चेहरे भी
तूफान मचाया करते हैं
हे उमापति ………………
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तिनका-तिनका उजड़ा है जहां
वहां न्याय की बातें करते हैं
अंधेरे हैं, पहरेदार जहां
प्रकाश न आया करते हैं
हे उमापति ………………
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नहीं चैन से सोते हैं लोग जहां
भाविष्य डराया करते हैं
अपनों की सतातीं हैं, यादें सदा
आंखों को रूलाया करते हैं
हे उमापति ………………….
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“चुन्नू”बंदी सभी मिलकर के जहां
पुकार लगाया करते हैं
मेरी नाव फंसी मझ़धार ‘प्रभु’
बस पार लगाया करते हैं
हे उमापति ………………….
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•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)